हिन्दुओ की जान कहे जाने वाले आदित्यनाथ को UP की इन चुनौतियों से निपटना पड़ेगा
भारतीय जनता पार्टी ने कई नामों पर विचार करने बाद आज कट्टर हिंदुत्व छवि वाले गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। करीब 20 करोड़ की आबादी वाले सूबे में नए सीएम कई चुनौतियों से दो-चार होना पड़ेगा। आगे की स्लाइड में जानें चुनौतियां-
हिंदुत्व वाली छवि के बीच प्रदेश में सामाजिक सद्भाव बनाए रखना नई सरकार के लिए बेहद चुनौतिपूर्ण होगा। भाजपा सरकार का फोकस विकास पर जो सांप्रदायिक सद्भाव पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर के हिंदु-मुस्लिम दंगे प्रदेश में निवेश बढ़ाने की योजनाओं पर पानी फेर सकते हैं। भाजपा सरकार को प्रदेश के लगभग सभी धर्म और जाति के लोगों ने वोट दिया है। ऐसे में नए मुख्यमंत्री के पास सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने का बेहतरीन मौका है।
यूपी चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का वादा किया था लेकिन सूबे में जमीनी हकीकत बेहद खराब है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तर प्रदेश के 36.8 फीसदी घरों में ही बिजली है। नई सरकार के समक्ष राज्य विद्युत बोर्ड का पुनर्गठन एक बड़ी चुनौती होगी। नई सरकार अगर बिजली के दाम बढ़ाती है तो इससे आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुसीबत हो सकती है। हालांकि बिजली वितरण के दौरान होने वाले नुकसान को कम कर सरकार बेहतर कर सकती है।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय औसत का दोगुना अपराध होता है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव के दौरान कुल उम्मीदवारों में करीब एक चौथाई का आपराधिक इतिहास रहा है। उगाही और हिंसा प्रदेश में व्यवसाय को बढ़ावा देने की पहल पर पानी फेर सकते हैं। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान प्रदेश को अपराध मुक्त करने वादा किया था । नई सरकार के पास मौका है कि वह प्रदेश में बिजनेस लायक माहौल बनाने के लिए स्थानीय पुलिस को मजबूत करे और अपराधी गिरोहों का सफाया करे।
नई सरकार के समक्ष भ्रष्टाचार एक और बड़ी चुनौती होगी। सत्ता से दूर रहते हुए भाजपा ने सपा सरकार पर जमीनों पर कब्जे के आरोप लगाए थे। अब नई सरकार के गठन होते ही नए मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचारियों पर कठोर कार्रवाई करनी होगी। इसके अलावा नई सरकार को सरकार में पारदर्शिता , नौकरशाही जवाबदेह बनाने और लाइसेंस लेने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना होगा।
उत्तर प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था की हालत बेहद खराब है। इसी वजह से यहां बेरोजगारी दर भी ज्यादा है। वर्ष 2015-16 की रिपोर्ट के मुताबिक हरेक एक हजार लोगों में 58 बेरोजगार हैं। जबकि भारत का औसत 37 है। युवाओं में बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है। 18 से 29 साल के बीच के एक हजार युवाओं में 148 बेरोजगार हैं। जबकि पूरे भारत का औसत 102 है। वर्ष 2001 से 2011 के बीच 20 से 29 साल के 58 लाख लोग काम की तलाश में दूसरे शहर चले गए। नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे के मुताबिक प्रसव के दौरान माता की मौत के मामले में भारत में उत्तर प्रदेश का स्थान दूसरा है। यही आधे नवजात बच्चे कम विकसित होते हैं। राज्य में हर दूसरे बच्चे को टीका नहीं लगता है। हरेक एक हजार नवजात बच्चे में 64 की मौत हो जाती है। यह देश में सबसे अधिक है। प्रदेश में विशेषज्ञ डाक्टरों और नर्स की अत्यधिक कमी है। बीजेपी ने इसे दूर करने के लिए अपने मेनिफेस्टो में हर गांव में प्राइमरी सब सेंटर खोलने की बात कही है।
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